रोमांचक हिंदी स्वस्पर्धा
सशक्त अभिव्यक्ति; आकर्षक सौंदर्य
भाषा हमारी अभिव्यक्ति होती है; भाषा हमारी पहिचान और स्वाभिमान बन जाती है |
बीच-बीच में, सचेत होकर विश्लेषण करते रहना चाहिए – हमारी अपनी भाषा विकृति की ओर तो नहीं जा रही है (?)
जी हाँ; समय के साथ भाषा में दोनों प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं – स्वीकार्य और अस्वीकार्य | घुमक्कड़ और जिज्ञासु मानव-स्वभाव के कारण भाषाएँ एक-दूसरे से परिचित होती रहती हैं; एक-दूसरे से प्रभावित होती रहती हैं; एक-दूसरे में प्रवाहित होती रहती हैं | संभवतः इसीलिए कम-से-कम व्यावहारिक स्तर पर कोई भी भाषा सौ-प्रतिशत “शुद्ध” होने का दम्भ नहीं भर सकती | इसी कारण समय के साथ भाषा में दोनों प्रकार के परिवर्तन होते रहते हैं
भाषाओं में अभिव्यक्तियों का एक-दूसरे में समाहित होना सहज, पीड़ारहित सामाजिक घटना हो सकती है, लेकिन यह एक सुनियोजित षड़यंत्र भी हो सकता है | क्योंकि ऐसा होता है इसीलिए समय-समय पर विश्लेषण आवश्यक हो जाता है | ऐसे विश्लेषण के फलस्वरूप; सुधारात्मक संसाधनों के रूप में हिंदी भाषा-शुद्धि शब्दावली नामक छोटा-सा संकलन 2020 में इस प्रोग्राम के लेखक डॉ अरविन्द अग्रवाल द्वारा प्रकाशित किया गया था |
रोमांचक हिंदी स्वस्पर्धा उसी संकलन को अगले चरण में ले जाने के लिए एक प्रकल्प है |
समर्पण
यह स्वस्पर्धा आप सभी प्रतिभागियों को समर्पित है ;
और समर्पित है मातृतत्व को, जो भाषा और अभिव्यक्ति से हमारा परिचय कराती है
इस वर्ष मनाएँ “रोमांचक” हिंदी दिवस – १४ सितम्बर, प्रतिदिन
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रोमांचक स्वस्पर्धा
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रोमांचक हिंदी स्वस्पर्धा: सशक्त अभिव्यक्ति; आकर्षक सौंदर्य
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Based on first printed publication हिंदी भाषा-शुद्धि शब्दावली
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THEMES – Language, Education, Culture, Parenting, Society, Self development
लेखक का परिचय
अरविन्द अग्रवाल पीएचडी - बिज़नेस मैनेजमेंट और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से सम्बद्ध रहे हैं | जटिल समस्याओं के व्यावहारिक समाधान के विशेषज्ञ, मौलिक विचारशैली रखने वाले डॉ. अरविन्द प्रखर वक्ता और परामर्शदाता हैं |
सोशियोनॉमिक्स (अर्थात सोशल प्रोसेसेज; संस्कृति और जीवन की क्वालिटी के बीच पारस्परिक सम्बन्ध) - इस जटिल विषय पर डॉ. अरविन्द की निपुणता है |
डॉ. अरविन्द के लिए लेखन एक साधन मात्र है ताकि सोशियोनॉमिक्स को सभ्रान्त वर्ग (ELITE CLASS) के लिए सरल और उपयोगी बनाया जा सके; ऐसे फ्रेमवर्क, उपाय और समाधान प्रतिपादित किए जा सकें जो व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए उपयुक्त हों |